अटकलें थी बाज़ार में कि दुनिया तबाह होगी..
क़यामत के बाद आदम हव्वा की एक नई सुबह होगी..
समंदर से शायद सैलाब भी आयेगा..
आसमान से कोई आग भी बरसाएगा..
धरती हमारे बोझ से थक जाएगी..
शायद शून्य पर जम जाएगी..
चंद्रग्रहण अब लाल होगा..
तांडव करता जब काल होगा..
बारह वर्ष बरसात ना रुकेगी..
पृथ्वी जब अक्ष पे ना घूमेगी..
क्षुद्र ग्रह कोई टकराएगा..
श्वेत अश्व पर कल्कि जब आयेगा..
हिंसा का कोई बम परमाणु होगा..
या बस सूक्ष्म सा कोई विषाणु होगा..

Simply wow!!!
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Wow! Very nice
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Relatable and wonderfully composed !!
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